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________________ कोलाबा जिला। [१४३ था। भारतीय जहाज कपड़ा, लोहा, रुई ले जाते थे व वहांसे हाथीदांत व सींग लाते थे। छठी शताब्दीमें मौर्य्य लोग या नल सर्दार राज्य करते थे। चालुक्योंका प्रथम राजा कीर्तिवर्मा (सन् ५५०से ५६७)-जिसने कोंकणमें चढ़ाई की थी-नल और मौर्योंके लिये यमके समान वर्णन किया गया है। कीर्तिवर्माका पोता पुलकेशी द्वि० (६१०--६४०) था । जिसने कोन्कनको विजय किया । इसने लिखा है कि उसका सर्दार चंड-डंड मौर्योको भगानेके लिये समुद्रकी तरंग था (Arch S. R. III 26.) थाना निलेके वाडसे लाए हुए एक लेखयुक्त पाषाण (पांचवी या छट्ठी शताब्दी)से मालूम होता था कि उस समय कोंकणमें सुकेतुवर्मा राज्य कर रहा था । इस चालुक्य सर्दार चंड-दंडने मौर्योकी राज्यधानी पुरी (अज्ञात) पर हमला किया था । यह नगर पश्चिमीय भारतकी लक्ष्मीदेवीका स्थान था। वीस शिलाहारोंने थाना और कोलाबामें सन् ई० ८१० से १२६० तक राज्य किया था। पांचवां राजा झंझा था जिसका वर्णन अरब इतिहासज्ञ ममूदीने लिखा है कि वह सन् ९१६ में चिवलमें राज्य करता था । तथा चौदहवां राजा अनन्तपाल या अनन्तदेव था (सन् १०९६) जिसने दो मंत्रियों की गाड़ियोंपर कर माफ कर दिया था जो चिवल बंदरपर आती थीं। तेरहवीं शताब्दीमें देवगिरिके यादवोंने राज्य किया । सन् १३७७ में विजयनगरके या आनेगुंडीके रानाओंने कोंकणके कुछ बंदर लेलिये । मुसल्मानोंके पहले दक्षिण कोंकण जिसमें वर्तमान कोलाबा है लिंगायतवंशी राजाओंके हाथमें था जिनको कनड़ा राजा कहते थे जिनका मुख्यस्थान आनेगुंडी था।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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