________________
मध्य भारत ।
[ ६६
कमरे में बहुतसी जैन मूर्तियें हैं । वज्रनाथ मंदिर भी जैनियोंका है इसमें तीन मंदिर शामिल हैं ।
(८) मंदसोर नगर - एक बहुत प्राचीन नगर है । इसका पुराना नाम दशपुर है | नासिकमें सन् ई० के प्रथम भागका क्षत्रपोंका लेख मिला है उसमें इसका नाम है । एक शिलालेख मंदसोरके पास सूर्य के मंदिर बनानेका सन् ४३७ में कुमारगुप्त प्रथमके राज्यका है। जैन स्मारक बहुत हैं ।
यहांसे दक्षिण पूर्व ३ मील सोंदनी ग्राममें दो सुन्दर स्तम्भ हैं जिनके गुम्बज पर सिंह और वृषभ बने हैं। दोनोंपर जो शिलालेख है उसमें यह कथन है कि मालवाके राजा यशोधर्मन्ने शायद सन् १२८ में मिहरकुलको हराया ।
( Flcet Indian Antiquary Vol. XV. )
(९) नरोद - जि० नरवर अहिरावती नदीपर । यहां एक पाषाणका बड़ा मठ है इसको कोकई महल कहते हैं, इसकी एक भीतपर एक बड़ा संस्कृतका लेख है जिसमें मठके बनानेका वर्णन है । इसमें राजा अवन्तिवर्मनका वर्णन है, शायद ग्यारहवीं शताव्दीका हो । ( कनिंघम रिपो० नं० २ तथा Epigmphica Indica Vol. VII. P. 35 )
(१०) नरवर नगर - सिपरी और सोनागिरके मध्य में नैषधके नलचरित्र में इसका वर्णन है । कर्निघम इसको पद्मावती नगर कहते हैं। यहां नागराजा गणपतिके सिक्के पाए गए हैं जिसका नाम अलाहाबादके समुद्रगुप्तके लेखमें आया है ।
(११) शुजालपुर - जि० सुजालपुर (उज्जैन - भोपाल) रेलवेपर