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६८ ] . प्राचीन जैन स्मारक ।
ग्वालियरके किले में जैनियोंके प्रसिद्ध लेख । नं. ९-संवत ११६५ या सन् ११०८ जैन मंदिरमें १८-, १४९७ या सन् १४४० मूर्ति आदिनाथ
डूंगरसिंह राज्य २५- ,, १५२६ या सन् १४६९ मूर्ति चंद्रप्रभु २७- , १५३० या सन् १४७३ , आदिनाथ
कीर्तिसिंहे राज्ये . ग्वालियर गजटियर १९०८में कथन है कि यहां जो तानसेन गवैय्या मानसिंहके स्कूल में पढ़कर तय्यार हुआ था वह रीवां महाराज राजा रामचंद्रका दर्वार-गवैय्या था और वह सन् १९६२ तक दर्वारमें रहा, तब उसको बादशाह अकबरने बुला भेना । वादशाहको यह बहुत प्रिय था। आईने अकवरीमें इसको मियां तानसेन व उसके पुत्रको तांतराजखां लिखा है।। ___ग्वालियर दिगम्बर जैनोंका विद्याका स्थान रहा है । सूरजसेनके वंशमें ८ वां राजा तेजकरण था जिसको परिहारोंने सन् . ११२९में हटा दिया।
(७) ग्यारसपुर-मिलसासे उत्तर पूर्व २४ मील। यहां . प्राचीन मकान बहुत दूर तक चले गए हैं। सबसे प्रसिद्ध मकान अठखंभा कहलाता है । यह ग्रामके दक्षिण बहुत सुन्दर मंदिर है, स्तंभ बहुत उत्तम नक्काशीके हैं । एक खंभे पर एक यात्रीका लेख सन् ९८२का है। सबसे सुन्दर पुराना जैन मंदिर पहाड़ीकी नोक पर माताका है जो नौमी या १०वीं शताब्दीका है। इसमें वेदीपर . एक बड़ी दिगम्बर जैन मूर्ति है व ३ या ४ और जैन मूर्तिये हैं।