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प्राचीन जैन स्मारक ।
वीरस्वामी राजा सिद्धार्थ और त्रिशला सहित हैं ।
उत्तर पश्चिमी समूह-दोंधा द्वारके उत्तरमें श्री आदिनाथकी मूर्ति है । लेख सं० १९२७ या सन् १४७० का है । I
दक्षिण पूर्वी समूह - गंगोलातलावके नीचे यह सबसे बड़ा और प्रसिद्ध समूह है । यहां १८ मूर्तियें २० फुटसे ३० फुट 'ऊंची हैं तथा बहुतसी ८ फुटसे १५ फुट उंची हैं। ऊपरसे लेकर आध मीलकी लम्बाई में कुलपहाड़ीपर ये मूर्तिय हैं । इनका वर्णन नीचे प्रकार है
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नं०
१०
नाम तीर्थकर
अप्रगट
आदिनाथ व ४ और आदिनाथ नेमिनाथ आदिनाथ
...
पद्मप्रभु
...
आदिनाथ
चन्द्रप्रभु २ और
चन्द्रप्रभु
सम्भवनाथ
और
च १ ने मनाथ
सम्भवनाथ
महावीर
आसन
...
कायोत्सर्ग
37
"
"
95
१५
पद्मासन कायोत्सर्ग | २०
97
पद्मासन ६ कायोत्सर्ग २१
१२.
१.२
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पद्मासन
ऊंचाई
३० फुट ।
21
कार्य'त्सर्ग
७
१४
૨૪
१.४
91
पद्मासन
कायोत्सर्ग
२१
२१
फुट ग्रुपभ
"
19
११
"
99
"1
19
चिह्न
31
शंख
उपभ
कमल
सम्वत्
शंव.
१ २१ फु: | घोडा
सिंह
५.३०
१५३०
१५२५
१५२५
१५२५
१५२६
अर्द्धचंद्र १५२७
घोड़ा
१५९५
१९२५