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प्राचीन जैन सारक। मनुसार २३१ जेनी हैं। जेम मंदिर हैं। यहां होकर श्री मुक्तागिरि सिद्धक्षेत्र (जो वैतुल जिले में निकट है) को यात्री जाते हैं।
(२३) येवतमाल या ऊन जिला।
इसकी चौहद्दी यहं है। उत्तरमें अमरावती पूर्वमें वर्धा, दक्षिणमें पेन गंगा, पंश्चिममें पुसड़ व मंगरूल ता०यहां ३९१० वर्ग मोल स्थान है।
(१) कलम-ता. येवतमाल ! इस ग्रानमें एक भूमिके नीचे श्री चिंतामणि पार्श्वनाथका प्राचीन जन नंदिर है।
(४) अकोला जिला ! इनको चौहद्दी है । उत्तरमें मेलघाट पहाड़ी, पूर्वमें दयोपुर, मुतनापुर, पश्चिममें चिखली, मलकापुर दक्षिणमें मंगरूल वासिम ।
यहां २६७८ वर्ग मील स्थान है।
(१) नरनाल-ता: अकोला-एक पहाड़ी ३१६१ फुट ऊँची है । इसपर चार बहुत ही आश्चर्यकारी पापाणके कुंड हैं। ऐसा समझा जाता है कि इनको मुसल्मानोके पूर्व जैनियोंने बनवाया था।
(२) पातूर-नगर ता० बालापुर । एक पहाड़ीके उत्तरमें दो गुफाएं हैं, जिनके भीतर एक खण्डित पद्मासन मूर्तिका भाग है और मूर्तियां नहीं हैं। तथा खम्भोंपर लेख हैं जो अभीतक (१९०९) तक पढ़ें नहीं गए थे। ये गुफाएं शायद जैनोंकी हों। सं० नोट-जांच होनी चाहिये।