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"मध्यं प्रान्त
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...(४) मांडला जिला ।
इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तरपश्चिम जबलपुर, उत्तर पूर्व -रीवां, दक्षिण और दक्षिण पश्चिम-बालाघाट व सिवनी, दक्षिणपूर्व · विलासपुर और कवर्धा-राज्य । यहाँ ५०५४. वर्गमील स्थान है।
यहां गढ़ी मांडलावंशने रामनगरके महलमें पांचवीं सदीमें राज्यप्रारम्भ किया तब जादोराय राजपूतने जो गोंद राजाका सेवक था उसकी कन्याको विवाहा और उसके पीछे राजा हुआ । इस वंशमें अंतिम राजा संग्रामसिंह सन् १४८०में हुआ। दुर्गावतीकी वीरता-सन् १९६४ में जन असफखांने चढ़ाई की तब उसकी
रानी दुर्गावती जो अपने छोटे बच्चेकी प्रतिनिधिरूपसे राज्य ~करती थी निकली और सिंगोरगढ़के किलेके पास युद्ध किया। पराजित होनेपर वह मांडलामें गढ़के पास आई और उसने अपना दृढ़ःबल प्रगट किया। वह हाथीपर चढ़कर युद्ध करने लगी। इसने अपनी सेनाको वीरता दिखानेको प्रेरित किया। स्वयं सेनापतिका काम किया-उसकी आंखमें लाल घाव होगया तब भी उसने पीछा न ! दिखाया। अन्तमें जब उसने देखा कि उसकी सेनां असमर्थ होगई
तब उसने अपने हाथीके महावतसे कटार लेकर अपनी छातीमें * मारी और वह मर गई। फिर मुसल्मानोंका राज्य हो गया ।
इसका प्राचीन नाम महिषमंडल या महिषावती संस्कृत साहित्यमें आता है । यह राजा कार्तवीर्यका राज्यस्थान रहा है।
(१) कर्करामठ मंदिर-तहसील डिन्डोरी, डिन्डोरीसे १२ मील ।' यहां किसी समय पांच मंदिर थे उनमेंसे एक मौजूद हैं।