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मध्य प्रान्त ।
है। जबतक गोंदलोगोंकी-शक्ति बढ़ गई थी सबसे पहला गोव राजा बेतुके खेरलामें था । इसका नाम १३९८ में प्रगट होता है जब
नाम दिये है वे भी यही है । कुछ अन्तर हैं वह यह है कि मुग्धतुंग पीछे बालाह है, फिर केयूरवर्ष युवराजदेव है । लक्ष्मणराजके पीछे संकरगण (१९७०) है फिर युवराजदेव द्वि० (९७५) है ।
कनिंघम साहबने कुछ शिलालेख भी दिये हैं जिनमें चेदी या वंशके राजाओ के नाम भाए हैं ।
(१) अवलपुर से उत्तर १२ मील बहुरीबन्द प्राममें एक १२ फुट ऊँची बड़ी नग्न जैन मूर्तिके लेखमें कलचुरी राजा गजकणं देव संवा १०xx आता है । 0
(२) इसके पुत्र नरसिंहदेवका लेख मेगघाट पर है ।
(३) बिल्हाणके प्राचीन नगरके एक शिलालेखम चेदी वंशके हैदन राजाओके नाम है । यह पाषाण नागपुर के म्युजमें है । वे नाम हैकोइल. मुग्धतुंग, केयुग्वर्ष, लक्ष्मण, संकरगण, युवराज ।
कोक के पतेका पोता गयकर्ण था जिसने धारके राजा उददिअभी नही कन्याको बिवाहा था । यह भी कहा जाता है कि इस को दक्षिण कृष्णगजको पराजित किया था। मैं इसे कृष्णराष्ट्रकूट सम्झना हूं जिसने अनुमान ८६० से ८८० ई० तक राज्य किया था। मह टतिदुर्गा (शाका १७५ या सन् ७५३ ) से पांचवीं पीई में मा
८३३ ) का परमावा
तथा वह कृष्ण गोविन्द राष्ट्रकूट (शाका ८५५- न (Great grand father) भी था । राष्ट्रकूटोके एक शिलालेख ने किया है कि कृष्णगजने कोकन प्रथमकी कन्या महादेवीको विवाहा बा- दुमरे राष्ट्रकूट में ( R. A. S. J. III 102 ) हैं कि कृष्णके पुत्र जगतरुद्रने फेरी राजा शंकरगणकी दो कन्याओंको विवाहा था। यह शंकरगण कोकस्न प्रथमका पुत्र था । तीसरे राष्ट्रकूट, लेख (B. A. S. J. IV P.97) में है कि इन्द्रराज ने कोक प्रथमको योती निम्बाको विवाहा था । इस इन्द्रराजा और उसकी रानीका समय निणपूर्वक उनके पुत्र गोविन्दराजके लेखसे शाका ८५५ या
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