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राजपूताना।
[१५३ रके वासी थे । इस ओसा नगरके ध्वंश अभीतक जोधपुरसे उत्तर ३९ मीलके अनुमान पाए जाते हैं। (जोधपुर गजटियर ४० ८६) उनके मुख्य विभाग हैं-मोहनोत, भंडारी, सिंधी, लोढ़ा (इसके भी चार विभाग हैं जिनमेंसे एकको बादशाह अकवरके खजांची टोडरमलके नामसे पुकारा जाता है) और मेहता (जिनमेंसे भंडसाली हैं
जो मूलमें भारती राजपूत हैं और ओसवालोंके चौधरी कहलाते हैं)। - यहां महेश्वरी २०२८८ हैं जिनकी उत्पत्ति चौहान, परिहार और सोलंकी राजपूतोंसे है।
. पोड़वाल-पाटन (गुजरात)के राजपूत हैं जहां उन्होंने ७०० वर्ष हुए जैनधर्म धारण किया था। कोईका मत है कि इनकी उत्पत्ति पुर नगरसे है जो उदयपुरके भिलवाड़ाके पास एक प्राचीन नगर है।
सरावगी-(८४ भागवाले) इनकी संख्या यहां १३१९५ है, ये ही खंडेलवाल हैं।
अग्रवाल-कुल १०३३ हैं उनकी उत्पत्ति राजा अग्रसे है जिसकी राज्यधानी अग्रोहा (पंजाब)में थी।
कुल जेनी १३७३९३ हैं जिनमें ६० सैकड़ा श्वेताम्बरी २२ सैकड़ा ढूंढ़िया व १८ सैकड़ा दिगम्बरी हैं जो कि प्राचीन हैं (Who are ancient ) ( सफा ९१ जोधपुर गजेटियर ) - पुरातत्त्व-यह जोधपुर पुरातत्त्वमें बहुत बढ़िया है । वहुत ही प्रसिद्ध स्मारक वाली, भिनमाल, डीडवाना, जालोर, मन्दोर नादोल, नागौर, पाली, राणापुर और सादरीमें हैं ।
मुख्य स्थान । (१) वाली-जि० हुकूमत-फालना स्टेशनसे दक्षिणपूर्व ५