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प्राचीन जैन स्मारक। अब ध्वंश है । पानीके झरनेके पास बहुतसे जैन तीर्थङ्करोंकी मूर्तियोंसे अंकित पाषाण हैं। इनको लोग पांच पांडव कहते हैं। --
(७) गूर्गीमसौन-ता. हुजूर (गढ़) रीवांसे १२ मील । यहां कुछ दि० जैन मतियां चारों ओर मिलती हैं। प्राचीन कौसा-. . म्बीका स्थान है ( ऊपर देखो)
(८) मुकुन्दपुर-ता० हुजूर-रीवांसे दक्षिण १० मील पुराने किलेके ध्वंश हैं। खजराहाके समान यहां बहुतसी जैन मूर्तियां चारों तरफ मिलती हैं।
(९) मार या मूरी-ता० वरडी। यहां ४ थी से नौमी शताब्दीकी कुछ गुफाएं हैं।
(१०) पाली-ता० सुहागपुर-हिन्दुओंके मंदिरोंमें प्राचीन जैन मूर्तियोंके बहुतसे स्मारक देखे जाते हैं।
. (११) पियावान-ता० रघुराजनगर-सेमरियासे ७ मील । यहां दाहालुके कलचूरी राजा गांगेयदेवका लेख चेदी सं० ७८९ या सन् १०३८ का मिलता है। (२३) नागोद राज्य या उंछहरा राज्य।
• यह राज्य सतनासे पूर्व है। यहां ६०१ वर्गमील स्थान है। यहां परिहार राजपूतोंके वंशज राज्य करते हैं। सन् १३४४ में यहां राजा धारासिंह थे व सन् १४७८में यहां राजा भोज थे। यहां प्राचीन स्मारक बहुत हैं परन्तु उनकी अभीतक खोज नहीं की गई है। यहाँपर होकर मालवा और दक्षिण भारतसे कौसाम्बी और श्रावस्तीको मार्ग गया था। भरहुतके पास एक सुन्दर बौद्ध स्तूप पहले मौजूद था