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प्राचीन जैन स्मारक ।
- का जैन मंदिर प्राचीन छोटा श्री पार्श्वनाथजीका है । तीन लाइन.. मूर्तियोंकी हैं। ऊपर १ मूर्ति पद्मासन है | नीचे दो लाइनमें खड़े आसन मूर्तियें हैं । नं० २३ - २४ श्री आदिनाथ और पार्श्वनाथजीके क्रमसे हैं | मंदिर नं० २९ सबसे बड़ा व सबसे सुन्दर है यह ६० फुटसे ३० फुट है । एक जैन साहूकार ने इसका जीर्णोहार कराया था । मध्यवेदी के कमरे के द्वारपरं नग्न पद्मासन जैन मूर्ति है । इसके बगल में दो नग्न खड़े आसन हैं । द्वारके बांईं तरफ १९ लाइनका लेख है जिसमें है कि धंग राजाके राज्य में संवत् १०११ या सन् ९९४ में भव्यपाहिलने जिननाथके इस मंदिर को एक बाग दान किया | इस खजराहाका वर्णन संयुक्त प्रांतके प्राचीन जैन स्मारक पृष्ठ ४१ से ४३ तकमें दिया है । घंटाईके मंदिर में श्री शांतिनाथकी मूर्ति १४ फुट ऊंची है । इसपर " सं० २०८५ श्रीमान् आचार्य पुत्र श्री ठाकुर श्री देवधरसुत सुतश्री, शिविश्री, चंद्रेयदेवाः श्रीशांतिनाथस्य प्रतिमा कारितेति" है । नकल एक लेखकी
खजराहाका लेख |
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". (Ep. Indica Vol. I Ins. No. 111 of a Jain Temple on left door Jumb of temple of Jain Nath at out of 1011'
Sanyat. }
(१) - ओं ॥ संवत १०११ समये ॥ निजकुलधवलोयं (२) दिव्यमूर्ति स्वशील, शमदमगुणयुक्त सर्व्व - ( ३ ) सत्त्वानुकंपी । स्वजनजनित तोषो धांगराजेन (४) मान्य, प्रणमति जिननाथो यं भव्य पाहिल (५) नामा ॥ १ ॥ पाहिलवाटिका १ चंद्रवाटिका २, (६) लघुचंद्रवाटिका ३, शंकरवाटिका ४, पंचाई (७) तलवाटिका ५, जमवाटिका ६, धंगवाड़ी, (८) पाहिलवंशे तु क्षये क्षीणे अपरवंशो
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