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प्राचीन जैन सारक। रामपुर-भानपुर जिला-यहां २१२३ वर्गमील स्थान है। बहुतसे प्राचीन स्थान यहांपर हैं जो इसे महत्वका स्थान प्रगट करते हैं । सातवींसे ९ मी शताब्दी तक यह बौद्धोंका स्थान रहा है। धमनेर, पोलादनगर और खोलवीमें बौद्ध गुफाएं हैं । नौमीसे १४ वीं शताब्दी तक यह परमार राजपूतोंका एक भाग था जिनके राज्यके बहुतसे जैन मंदिर अवशेष हैं । इस वंशका एक शिलालेख हालमें मोरी ग्राममें मिला है जो गरोट पर्गनामें है । शामगढ़ स्टेशनसे ६ मील है।
निमाड़ जिला-यहां ३८७१ वर्गमील स्थान है। प्राचीन बौद्धकालमें यह उपयोगी ऐतिहासिक जगह थी। यहां दक्षिणसे उज्जैन तक मार्ग एक तो महिष्मती या महेश्वर होकर जाता था दूसरा पश्चिममें ८ चीकलदा और ग्वालियर राज्यमें वाघ होकर 'जाता था । सराऐं पाई जाती हैं। तीसरी शताव्दीमें इसके उत्तरीय भागपर हैहय वंशवालोंका राज्य था जिन्होंने महिष्मतीको राज्यधानी बनाया था। नौमी शताब्दीमें मालवाके परमारोंने राज्य किया था। उनके राज्यके चिह्न जैन व अन्य मंदिरोंमें मिलते हैं जैसे उन, हरसुद, सिंधाना और देवलापर ।
इन्दौरके प्रसिद्ध स्थान । (१) धमनेर-गुफाऐं-झालरापाटनसे दक्षिण पश्चिम ५० मील । चन्दवाससे पूर्व २ मील, शामगढ़ स्टेशनसे १३ मील है। यहां बौद्ध और ब्राह्मणकी गुफाएं हैं । १४ वीं बौद्ध गुफां प्रसिद्ध है। इसको बड़ी कचहरी कहते हैं । भीमका बाजार नामकी गुफा