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________________ मथम भाग। (१) इन तीनोंसे नीचे के मनुष्य शूद्र वर्णके कहलाये । इन लोगोंकी संख्या पहिलेके तीनों वर्गों से बहुत जर दह थी । इन लोगोंने भी अपना दल बांधा था | और इमलिये प्राचीन भारतमें बहुतसे गद राना हो गये हैं। • इस प्रकार भारतमें वर्गों की स्थापना हुई इसके कोई तीन हनार वर्ष बाद हिन्दुओंकी समानका गठन हुआ । इसी समय बड़े बड़े नगर और मंदिर बनाये गये। नये नये देवताओंकी पूजा होने लगी। फिर नगर, देश और धन्धेके ऊपरसे नातिया बनाई गई जिससे कि भारतमें हजारों जातिया हो गईं। ___वर्तमान इतिहासकारोंका प्राचीन भारतके बारेमें यही अनुमान है और यह अनुमान वेदोपरसे किया गया है। पूर्व समयका इतिहास जाननेके लिये इन लोगों के पास और कोई साधन नहीं हैं और जो कुछ अनुमान किया गया है वह भी निश्चित नहीं हुआ है। इसमें इन्हीं इतिहासकारोंको बहुतसी शंकायें हैं जो कि हल नहीं हो सकी हैं । वहुतसे इतिहासकार पृथ्वी के इतिहासका प्रारम्भ चार या पांच हजार वर्षमे मानते हैं । लोकमान्य बालगगाधर तिलकके मतसे दश हजार वर्षसे इतिहासका प्रारम्भ होता है। और मि० नारायण भवनराव पावगी पूनानिवासीने अभी जो " आर्यनक्रेटल इन दी सहसिधुन " नामक पुस्तक लिखी है डामे लिखा है कि आर्य जातिया विदेशोरो न आकर यही सरस्वती नदी आदिके पास उत्पन्न हुई और इसे लाख पचास हजार वर्षसे कम नहीं हुए।
SR No.010440
Book TitlePrachin Jain Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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