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________________ स्वर्गीय - सेठ किसनदास पूनमचंद कापडिया स्मारक ग्रन्थमाला नं० १. अपने पूज्य पिताजीके अंत समय हमने २०००) इसलिये निकालने का संकल्प किया था कि इस रकमको स्थायी रखकर उसकी आयमेंसे पूज्य पिताजीके स्मरणार्थ एक स्थायी ग्रन्थमाला निकाल कर उसका सुलभ प्रचार किया जाय । उसको कार्यरूपमें परिणत करने के लिये यह ग्रन्थमाला प्रारम्भ की जाती है । और उसका यह प्रथम ग्रन्थ " पतितोद्धारक जैनधर्म " प्रगट किया जाता है। इसी प्रकार आगे भी यह ग्रन्थमाला चालू रखने की हमारी पूर्ण अभिलाषा है । हमारी यह भी भावना है कि ऐसी अनेक 'स्थायी ग्रंथमालायें जैन समाजमें स्थापित हों। और उनके द्वारा जैन साहित्यका जैन अजैन जनता में सुलभतया प्रचार होता रहे । -प्रकाशक । CHIRSH
SR No.010439
Book TitlePatitoddharaka Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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