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तथा भाई जीवनलालजी सूरतमें ही कपड़ेकी दुकान करते रहे जो सं० १९८४ में उनका स्वर्गवास होनेसे बन्द कर देना पड़ी।
इसप्रकार हमारे पिताजी श्री० सेठ किसनदासजी कापड़ियाने अपनी साधारण स्थितिसे क्रमशः अच्छी उन्नति की थी। वे धन, जन, संतान एवं प्रतिष्ठासे सुखी बने और वृद्धावस्थाके कारण धीरे २ शारीरिक शक्ति क्षीण होनेसे वीर सं० २४६० माघ सुदी ९ बुधवार ता० २४ जनवरी सन् १९३४ की रात्रिको ८२ वर्षकी मायुमें धर्मध्यानपूर्वक स्वर्गवासी होगये। आपकी स्मृतिमें उस समय इसप्रकार दान प्रगट किया गया था:---
२०००) स्थायी विद्यादान आदिके लिये। २०००) स्थायी शास्त्रदानके लिये। ( हमारी मोरसे )
५१) बिहार भूकम्पफंडमें। २००) वीस संस्थाओंको।
इस प्रकार ४२५१) का दान किया गया था । आशा है कि ऐसे दानका अनुकरण अन्य श्रीमान् भी करेंगे।
निवेदक-मूलचन्द किसनदास कापड़िया-सूरत ।