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नकुल और सहदेव भाई हुई हैं । इस प्रकार नेमिनाथ भगवानके द्वारा अपने भव्य भचको सुन कर पांडव बड़े शान्त हुए । उनके चित्तमें, जो उद्वेग था वह अब एक दम जाता रहा ।
जो इस तरहके शुभ भाववाले हैं, संसार वनके लिए दावानक हैं, जिनवाणी रसिक हैं, विकार भावसे रहित हैं, अत्यन्त पवित्र और कर्म बनके लिए afs हैं और जिन्होंने जिन यतियोंके आचरण किये हैं वे सुधी तुम्हें सिद्धि दें।
पाण्डव-पुराण !..
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चिर काल घोर तप तप कर जिन्होंने ब्राह्मणके भवमें बहुत पुण्य संचय किया, खोटे कर्मों का नाश कर उत्तम देव पद पाया, बाद वहाँके सर्वोत्तम सुखोंको भोग वहाँसे यहाँ आ राज-पद माप्त किया - मनुष्योंके मुकुट हुए, युद्धमें दुर्योधन आदि राजोंको जो कि बड़े ही संमरशाली थे, पराजित किया, हरिकी सहाय पाकर जो महा समुद्र पार करनेके लिए समर्थ हुए तथा महा समुद्रको पार कर द्रोपदी को लाये वे वैरियों पर विजय पानेवाले अमर जैसे पाँचों पाण्डव जयवन्त रहें ।
छब्बीसवाँ अध्याय |
क्षेत्र एक
उन पार्श्वनाथ प्रभुको प्रणाम है जो मचन्द्र के आश्रय स्थान हैं, हैं, प्राणियोंके पालक हैं और जिनके सुहावने पार्श्वभागों में सदा ही बैठे रहते हैं ।
इसके बाद सुर-असुर और नर- पूजित नेमिनाथ प्रभुको नमस्कार कर, हाथ जोड़ मस्तक पर लगा पाण्डव बोले कि प्रभो, जिसमें दुःखकी ज्वाला शरीर रूपी वृक्षोंको भस्म कर रही है, कराल काल द्वारा जो बड़ा गहन हैं, नाना दुर्जय दुःवरूपी खोटे मार्गों से दुर्गम और मनुष्यों के लिए बड़ा भयानक है, अनेक क्रूर कर्मजिनके उदयमें आ रहे हैं ऐसे प्राणियोंका जो स्थान है, तथा जो खोटे भात्रोंरूपी बिलों द्वारा भरा-पुरा और भीषण है ऐसे संसार में जो भय त्रस्त प्राणी जन्म-मरण के चक्कर लगा रहे हैं वे सत्र एक आपके शरण बिना ही दुःखी हो रहे हैं । यदि उन्हें आपका शरण मिल जाता तो वे कभीके पार हो गये होते ।
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श्रीपाल भव्य वर्ग
जो कि विविध जन्म-रूपी जलसे सब दिशाओंको लाँघता है; क्लेशकी लहरों से परिपूर्ण है, दुष्कर्म रूपी जिसमें विविध वडवानल हैं और खोटे भावरूपी भँवर उठा करते हैं ऐसे संसार समुद्र से प्राणियोंको तारनेके लिए आप अद्वितीय नौका हैं ।
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