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दूसरा अध्याय। पुरुषोंको बहुत आनंद हुआ, वे हर्षसे गद्गद हो गये; जैसे सूरजके तापको मिटानेवाले मेघोंका निमित्त पाकर अन्नके खेत हरे-भरे हो जाते हैं । इसी तरह भेषके शब्दको सुन कर मयूरकी नॉई शिष्य-गण भी उनकी वाणीको सुन कर नॉचने लग/ गये। तात्पर्य यह कि उन्हें बहुत ही हर्ष हुआ। उस समय गौतम भगवानके दाँतोंकी स्वन्छ किरणें जाकर सभी समाजनोंके ऊपर पड़ती थीं, अतः ऐसा जान पड़ता था कि वे स्वभावसे ही पवित्र-चित्त सभासदोंको और भी पवित्र वना देनेके लिए स्नान ही करा रही है । गौतम प्रभु निष्पाप-पवित्र आत्मा-थे, तेजस्वी थे, उनका तेज चारों ओर फैल रहा था। वे अपने तेजसे घिरे हुए अपूर्व ही शोभाको धारण कर रहे थे। वे आत्म-स्वरूपमें लीन और गुणोंके भंडार थे। ____ गौतम गुरुके चारों तरफ जो और और शिष्य-गण विराने थे वे श्रेणिक राजाके प्रश्नोंको सुन कर बहुत ही हर्पित हुए; कारण पांडवोंके चरितको सुननेका उन्हें अच्छा मौका आ मिला था। तथा वहॉ जो देवतों द्वारा पूजे जानेवाले और
और ऋषि-गण बैठे थे वे महाराजके प्रश्नोंको सुन कर कहने लगे कि प्रसिद्ध पांडव पुराणको सुननेकी हमारी बहुत दिनोंसे इच्छा थी, आशा है कि वह अब पूरी जायगी। राजन् ! आपने मगध देशके बहुतसे शत्रुओंको जीत लिया है, . , सम्यग्दर्शनसे युक्त और मिष्टभाषी है तथा भावी तीर्थकर हैं । आपके प्र..." सुन कर हमें बहुत खुशी हुई और हमारे पुण्णोदयकी भी उद्भूति हुई । कर हमारी बहुत इच्छा थी कि हम पुराण-पुरुषोंके पुराणको सुने और वह .. आज हम सुन रहे हैं । इसके सिवा और क्या खुशीकी वात होगी । राजन् । आपने हमारे सन्देह रूप अंधेरेको हटा दिया, इस लिए आप सूरज है , आपने हमारे गुणोंको गौरव दिया, अतः आप गुरुसे भी गुरु है। अपने १ . चाहनेवाले पुरुपोंके हितका प्रश्न किया, इस लिए आप हितैषी हैं और .. जीवोंके मिथ्यात-रोगको दूर करते है, इस लिए परोपकारी सच्चे वैद्य है। ममें कहा है कि पुराणोंको सुननेसे आत्माका कल्याण होता है । इस समय ९ . लोग इस पुराणको आपके निमित्तसे सुन ही रहे है । तब यही करना होगा कि हमारा कल्याण करनेवाले है--संसारकी सत्ता नाश करनेवाले है।
इस भारतवर्पमें पहले भरत आदि बहुतसे इसके स्वामी होगये हैं । ६ पुराणको सुन कर देशावधि नाम महान् ज्ञानको पाया था। कृष्ण नारायणने ने नाथ भगवानकी सभामें पुराण पुरुषोंके चरितको सुन कर उसी समय तीर्थ