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पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास
सूरिभि ।'
(5) शहर महेसाणा (गुजरात) मे जिन मन्दिर की धातु मूर्ति का
शिलालेख'सवत् 1396 माघ शु० 10 शनी पल्लीवाल ज्ञातीय ठ० हाडा भा० नायकि सुतश्रेयसे श्री महावीर बिब कारित प्र श्री धर्मघोष गच्छे श्री मानतु ग सूरि शिष्य श्री हसराज
(D न0 65) (6) घोघातीर्थ (काठियावाड) मे जीरावला पार्श्वनाथ के मन्दिर
जी की धातु मूर्ति का शिलालेख'स० 1510 वर्षे फागुण वदि 3 शुक्र पल्लीवाल ज्ञातीय स० म० मडलिक भार्या शाणी पुत्र लालाकेन भार्या रगो मुख्य कुटुम्ब यतेन श्री अचलगच्छेश श्री जयकेसर सूरीणामुपदेशेन श्री चन्द्रप्रभ बिब कारित ।'
(D न० 261) (7) श्री नाकोडा तीर्थ (वीरमपुर) मे शिलालेख
॥ ॥ अषाढादि सवत् ।681 वर्षे चैत्र बदि 3 सोमवारे हस्तनक्षत्रे विरमपुरे राउल श्री जगमाल विजय राज्ये श्री पल्लीवाल गच्छे भट्टारक श्री यशोदेव सूरिजो विजयमाने श्री पार्श्वनाथ जी चैत्ये श्री पल्लीवाल सधेन गवाक्षत्रय सहिता सुशोभना निर्गम चतुष्किका कारापिता उपाध्याय श्री हरशेखराणा पट्ट प्रभाकरोपाध्याय श्री कनकशेखर तत्पट्रालकारोपाध्याय श्री देवशेखर स्वर्गत उपाध्याय कनक शेखर हस्त दीक्षितेन उपाध्याय श्री सुमति शेख रेण स्वहस्तेन लिखित ॥ श्री श्रेयोस्तु श्री श्रावक सघस्य शुभ भवतु । सूत्रधार हेमा पुत्र " ।'
(न० 419) इन शिला नेखो के अतिरिक्त कुछ और शिलालेख भी हैं। उनका सम्बन्ध पल्लीवाल जाति से न होकर अन्य