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प्रस्तावना
जैन समाज विभिन्न जातियो एव उपजातियो मे विभक्त है । सभी जातियो का अपना अपना गौरव पूर्ण इतिहास है लेकिन इतिहास के प्रति हमारी सदैव उपेक्षावृत्ति रही हमने समाज की प्रमुख घटनाग्रो का विवरण न तो कभी लिखा और यदि कदाचित् किसी ने लिख भी दिया तो उसे सजो कर नही रखा। यही कारण है कि हमारे तीर्थों, प्राचार्यों एव समाज के महान् निर्माताप्रो का कोई इतिवृत्त नही मिलता और जब कभी उसकी आवश्यकता पडती है तो हमे उसे सामाजिक रूप से प्रस्तुत करने मे पर्याप्त कठिनाई का सामना करना पडता है।
लेकिन मुझे यह लिखते हुए प्रसन्नता है कि जैन समाज को विभिन्न जातियो का इतिहास लिखने की ओर रुचि जागृत हो रही है। खण्डेलवाल जैन समाज का वृद्ध इतिहास तैयार हो रहा है । अभी वरैया समाज का इतिहास प्रकाशित हुआ है और जैसवाल जैन समाज का इतिहास भी प्रकाशित हो चुका है । पल्लीवाल जैन समाज का इतिहास पाठको के हाथो मे पा चुका है। जिसका हमे स्वागत करना चाहिये।
दिगम्बर जैन समाज 84 जातियो मे विभक्त है ऐसा माना जाता है लेकिन वास्तव मे समाज मे कभी 24 वर्ष की अधिक जातियाँ मिलती थी। वर्तमान समाज मे इनमे कितनी जातिया