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पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास
प्रभावित हुई तथा अपने देश सेवा करने का निश्चय किया । पने विभिन्न प्रान्दोलनो मे सक्रिय भाग लिया। इसके कारण आपको दो बार जेल भी जाना पडा । आपने अन्य महिलामो को भी इन आन्दोलनो मे भाग लेने के लिए प्रेरित किया ।
देश प्रेम के साथ साथ आपमे धार्मिक सस्कार भी पूरी तरह से थे । आप सभी धार्मिक कार्यों मे हमेशा भाग लेती रहती थी । एक बार एक मुनि सघ आगरा मे आया । आप मुनि श्री के प्रवचनो को ध्यान पूर्वक सुनती थी। आपके मन में भी वीतरागता का भाव उत्पन्न हुआ तथा तत्काल ही आर्यिका दीक्षा धारण कर ली । कहते है कि आप यह दीक्षा ग्रहण करने से पूर्व अपने पिता के घर तक तो गई, लेकिन बाहर से ही ग्रावाज दे कर कह दिया कि वह दीक्षा ग्रहण कर रही है । उन्होने इस समय घर के अन्दर प्रवेश करना उचित नही समझा। आपने आर्थिका के रूप में कई स्थानो का भ्रमण किया तथा जन धम का प्रचार किया ।
(15-22) बाबूप्रताप चन्द जी
श्री प्रताप चन्द जी का जन्म आगरा मे फाल्गुन कृष्णा 5 सवत् 1960 ( यानि कि 6 फरवरी सन् 1904 ) को हुआ था । आपके पिता श्री गनपतराय जैन धर्मात्मा व्यक्ति थे । आपकी शिक्षा केकडो ( राजस्थान) में तथा बाद मे आगरा मे हुई ।
आपने सन् 1921 मे 'राजकीय रेलवे पुलिस की नौकरी प्रारम्भ की। 40 वर्ष की राजकीय सेवा के बाद 1 जनवरी सन् 1962 मे श्राप सेवा निवृत हो गये ।
आपको साहित्य लेखन मे प्रारम्भ से ही रुचि थी। आपके fafभन्न लेख 'सरस्वती' 'चाँद' तथा 'साप्ताहिक प्रताप' 'जैसी उच्च स्तरीय पत्रिकाओ मे प्रकाशित हुये । जैनियो को तो शायद कोई ही हिन्दी पत्रिका शेष रही होगी, जिसमे इनके लेख अथवा समी
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