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विशिष्ठ व्यक्तियो का सक्षिप्त परिचय
हुआ था । प्रापके पिता का नाम श्री मोतीलाल जी तथा माता का नाम श्री मती कुन्दन बाई था। बचपन में ही सेठ जी की माताजी का देहान्त हो गया था। जब इनकी आयु लगभग 10-11 वर्ष की थी तभी इनके पिताजी का भी स्वर्गवास हो गया । तेरह वर्ष की अल्पायु में इनका विवाह हो गया । इस प्रकार छोटी उम्र में ही इन पर गृहस्थी का बोझ आ गया ।
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सेठ जी बहुत ही परिश्रमी व्यक्ति थे । इन्होने फिरोजाबाद मे काच का व्यवसाय प्रारम्भ किया। सन् 1925 में फिरोजाबाद मे ही 'जैन ग्लास वर्क्स' के नाम से एक कारखाना स्थापित किया, जिसे सन् 1928 में फिरोजाबाद के निकट हिरनगी में स्थानान्तरित कर दिया । प्राप कुगल व्यवसायी थे, इसी कारण कुछ समय मे ही आपन काच उद्योग में बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त कर लिया । 13 मार्च 1957 को आपकी धर्म पत्नी श्रीमती शर्बती बाई का देहान्त हो गया ।
इन दिनों देश के स्वतन्त्रता संग्राम का बहुत जोर था । गाधी जी के नेतृत्व में विभिन्न मान्दोलन चल रहे थे । तभो सन् 1930 से सेट जी इन ग्रान्दोलनो के लिए नियमित रूप से प्रति मास 500 सौ रुपये गुप्त दान के रूप मे देते रहे ।
सन् 1947 मे सेठ जी ने साढे छह लाख रुपये की धन राशि से श्री छदामीलाल जैन ट्रस्ट' की स्थापना की। आज इस ट्रस्ट मे करोडो रुपये हैं । इस ट्रस्ट के अन्तर्गत सेठ जी ने एक विशाल जैन मन्दिर, जैन पार्क, धर्मशाला, पुस्तकालय, एक डिग्री कॉलेज तथा इसी प्रकार की अनेक जन उपयोगी सस्थाये स्थापित की, जो इस समय बड़े सुचारु रूप से जनता की सेवा मे सलग्न है ।
जैन मन्दिर आदि के निर्माण कार्य पूरे हो जान पर सेठ जी के मन मे एक विचार और आया । दक्षिण के श्रवणवेलयोल मे जिस प्रकार भगवान बाहुबली की मूर्ति स्थापित है, उसी प्रकार