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पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास यह गुणमाल जिनेश की, जो धारै उर माय ।
भव भव दु ख विनाश के, अन्त शिवालय जाँय ॥ आपकी सभी रचनाये एक बार प्रकाशित तो हो चुकी है, लेकिन उनकी अधिक प्रसिद्धि नही हो पाई है। 'श्री चौबीस तीर्थकर पुराण' (पद्य) आपकी एक बडी रचना है । इसमे चौबीसो भगवान का परिचय बहुत सुन्दर तरीके से दिया गया है । (5-14) ५० मक्खनलाल जो 'प्रचारक'33
पडित मक्खनलाल जी अपने समय के अद्वितीय आध्यात्मिक कवि थे। आप जैन धर्म के प्रकाण्ड विद्वान थे। आप जैन धर्म का प्रचार करने के उद्देश्य से स्थान-स्थान पर भ्रमण करते तथा जैन धर्म की गूढ बातो को बहुत ही सरल तथा सरस भजनो तथा हिन्दी पदो के रूप में प्रचारित करते थे। इसी कारण आप 'प्रचारक' उपनाम से प्रसिद्ध हो गये।
प्रापका जन्म सन् 1881 मे हुअा था । आपके पिता का नाम श्री डालचन्द पल्लीवाल तथा माता का नाम श्रीमती नारायनी देवी था। आप अलीगढ जिने को अतरौली तहसील के ग्राम काजमाबाद के निवासी थे। किसो समय इस गाँव मे पल्लीवाला के पचास घर थे, लेकिन अब तो शायद ही कोई पल्लीवाल वहाँ रहता हो।
पडित जी का विवाह अल्प आयु मे ही हो गया था, इस कारण इनकी शिक्षा प्रारम्भ मे ठीक से नही हो पाई। बाद मे आपने प्रथमा की परीक्षा पास की। आपने हस्तिनापुर के पास एक गाँव में बहुत समय तक अध्यापन कार्य किया। वही पर आपके पिताजी आ गये तथा गल्ले का व्यापार करने लगे। कुछ समय आपने चौरासी (मथुरा) के गुरुकुल मे अवैतनिक रूप से कार्य किया। अन्त मे प्राप दिल्ली आ गये तथा वही पर आपका स्वर्गवास 17 जून सन् 1972 का हो गया।