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विशिष्ठ व्यक्तियों का सक्षिप्त परिचय
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का तँह बास ||
श्री जिन मन्दिर तहाँ उतङ्ग, मध्य विराजित श्री जिनचद । दर्शन से श्रध तुरत नशाय, शान्ति छवी बरनी नहि जाय । जैन समाज तहाँ गम्भीर, धर्म ध्यान में अति ही धीर । पूर्वजो का तहाँ निवास, वर्ष सैकडो पितामह जानो शिवलाल, करते थे धर्म ध्यान विशाल । सूरजबख्श पिता मम जान, जो थे महा गुणो की खान ॥ तिनका सुत जानो यह दास " बात" समान करत अरदास । पल्लीवाल जैन लो जान तेरापन्थी आम्ना मान ॥ बात प्रसिद्ध जगत के माहि, कवि कोई सन्तानी नाहि । मैं भी भयो हीन सन्तान, नाती दत्तक लीनो मान || ताको अमर चन्द शुभ नाम, वह भी करत राज को काम । मै कुछ और कियो नही काज, आयु बिताई सेवा राज || सेवा राज वर्ष छत्तीस, करके ली उपवेतन बीस । तास समय यह लिखा पुराण, ठाली बैठे शुभ सगत से यह फल लियो, छाड विकथा
धन्धा जाण ॥
जिनवर गुण
कह्यो ।
सज्जन जन यह प्रायस दियौ, ता प्रसाद यह साहस कियो । चौबीसो जिन पुराण निहार, कियो पद्य यह गद्य अनुसार । गद्य समान पद्य कियो जान कियो नही निज प्रोर मिलान । छन्द काव्य से हूँ अनभिज्ञ, भक्ति भाव उर भयो सर्वज्ञ । श्री जिनवर गूँथी गुण माल, शुद्ध करो मम भूल सभाल ॥ ज्ञानी जन से है श्ररदास, देख प्रशुद्धि करो मति हास | सम्वत विक्रम दोय हजार, पोप शुक्ल शुभ दशमी सार ॥ ता दिन पूरण भयो पुराण, श्री जिन पूरण सहाय प्रमाण ।'
दोहा - पूरण भयो पुराण यह श्री जिन दया प्रसाद । पढो भव्य नित प्रेम से, क्षमो बाल' प्रमाद ||