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विशिष्ठ व्यक्तियो का संक्षिप्त परिचय
पांच साथियों में से एक प० रूपचन्द पल्लीवाल थे। इनका जन्म कन्नौज में हुमा था तथा बाद मे ये मोगरा पाकर रहने लगे थे।
कि प० बनारसीदास 400 वर्ष पूर्व हुये हैं, अत. ये रूपचन्द जी भी400वर्ष पूर्व के विद्वान हैं। इनकी पत्नी का नाम मणि या भणि था। इनके कोई भी सन्तान नहीं थी। इन्होने जो रचनाएँ की हैं, उनका उल्लेख ऊपर ही कर चुके हैं। 'पच मगल पाठ' इनकी सर्वाधिक लोक प्रिय रचना है। प्रतिदिन अभिषेक के समय इसे प्रत्येक दिगम्बर जैन मन्दिर में पढा जाता है । इस पाठ में तीर्थंकर भगवान के गर्भ, जन्म, ज्ञान, तप और निर्वाण के समय जो लक्षण प्रकट होते है उनका दिग्दशन बडी सुन्दर तथा सरल भाषा मे कराया है । प० रूपचन्द जी ने केवल ज्ञान की महिमा का वर्णन निम्न प्रकार से किया है
'क्षुदा तृषा अरु राग द्वेष असुहावनो। जन्म जरा अरु मरण त्रिदोष भयावनो ॥ रोग शोक भय विस्मय अरू निद्रा हनी।
खेद स्वेद मद मोह अरति चिन्ता गनी ।। गनिये अठारह दोष तिन कर रहित देव निरजनो।
नव परम केवल लब्धि मडित शिवरमण मन रजनो॥ श्री ज्ञान कल्याणक सुमहिमा सुनत अति सुख पाइयो।
भरिण रूपचन्द सुदेव जिनवर जगत मगल गाइयो।" (5-4) दीवान जोधराज
दीवान जोधराज का जन्म विक्रम संवत् 1790 की कार्तिक शुक्ला पचमी को हुआ था। ये पल्लीवाल जात्युत्पन्न डगिया चौधरी गोत्रीय थे। पाप हरसारणा (हासाने) नगर के रहने वाले थे, जिसके शासक महाराजा केसरीसिंह थे यह नगर अलवर जिले मे स्थित है । जोधराज महाराजा केसरीसिंह के राज्य-दरबार में दीवान पद पर मासीन थे।