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________________ विशिष्ट व्यक्तियो का संक्षिप्त परिचय 87 पाल का ( जो रिहल्लपुर के ही निवासी थे तथा लक्ष्मीधर से मात्र बोस वर्ष पहले ही लोकप्रिय तिलक मजरी सार' की रचना की ) कोई उल्लेख किया है । ऐसा मानना तो गलत होगा कि लक्ष्मीवर अपने नगर के तथा अपने समकालीन लोक प्रिय कवि पल्लीपाल धनपाल तथा प० ग्रामन से अपरिचित रहे हो । प० लक्ष्मीधर ने इनके नामो का उल्लेख नही किया उसका मात्र कारण यह था कि ये सभी दिगम्बर थे तथा प० लक्ष्मीधर पल्लीपाल धनपाल को अपना प्रतिद्वन्दी मानते थे । पल्लीपाल धनपाल दिगम्बर थे, इसी कारण श्वेताम्बर शास्त्र भण्डारो मे उस समय की अन्य सभी रचनाएँ तो सुरक्षित है, लेकिन पल्लीपाल धनपाल, प० ग्रामन तथा प० अनन्तपाल की रचनाएँ नही हैं । इस प्रकार प० ग्रामन, प० अनन्तपाल तथा कवि धनपाल पल्लीवाल जाति के थे तथा दिगम्बर जैन धर्मानुयायी थे। इनका पूरा परिवार धार्मिक कार्यों मे सलग्न था । कवि धनपाल पल्लीवाल कृत 'तिलक मजरी सार.' लोक कथा पर आधारित संस्कृत का एक महाकाव्य है जिसमे एक मोर तो राजकुमार हरिवाहन तथा विद्याधरी राजकुमारी तिलक मजरी तथा दूसरी ओर राजकुमार समरकेतु तथा राजकुमारी मलयसुन्दरी के प्रेम-प्रसंगो का वर्णन है । इस महाकाव्य में अनुष्टुभ् छन्दो का प्रयोग किया गया है । छन्दो की कुल सस्या 1205 है जिनमें से प्रतिम 7 छदो मे कवि ने अपना परिचय दिया है । शेष छदो को नौ प्रयाणकम् ( अध्यायो ) में विभक्त किया है । प्रत्येक अध्याय के प्रत में कवि ने 'विश्राम' शब्द का प्रयोग किया है | प्रथम अध्याय के प्रथम छद में कवि ने प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का स्मरण करते हुए उनसे प्राशीर्वाद मांगा है । यह छद निम्न प्रकार है
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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