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________________ विशिष्ट व्यक्तियों का संक्षिप्त परिचय रचना के प्रारम्भिक पाँच पदो में इन्होने स्पष्ट किया है कि इनकी यह रचना उपरोक्त धनपाल के 'तिलक मजरी' पर ही प्राधारित है । तिलक मजरी सार' के रचयिता कवि धनपाल ने अपनी इस रचना के अन्त में अपना परिचय निम्न प्रकार दिया है महाकाव्य विनिर्ममे ॥ 2 ॥ 'अणहिल्लपुरख्यात पत्नीवाल कुलोद्भव । जयत्यशेषशास्त्रज्ञ श्री मान् सुकविरामन ॥ 1 ॥ सुक्लिष्ट शब्द सन्दर्भमद्भुतार्थ रसोमि यत् । येन श्री नेमिचरित चत्वारस्तनुजास्तस्य ज्येष्ठस्तेषु विशेषवित् । प्रनन्तपालश्चक्रे य स्पष्टा गणितपाटिकाम् ॥। 3 ॥ धनपालस्ततो नव्य काव्य शिक्षा परायण । रत्नपाल स्फुरत्प्रज्ञो गुरणपालश्च विश्रुत ॥ 4 ॥ धनपालोऽल्पतुश्चापि पितुरश्रान्त शिक्षया । सार तिलकमजय कथाया किचिदप्रथम् ॥ इन्दु दर्शन- सूर्याक ( 1231) वत्सरे मासि कार्तिके । शुक्लाष्टम्या गुरावेष कथासार ( ) समर्पित ।। 6 । ग्रन्थ किन्चदम्यधिक शतानि द्वादशान्यसौ । वाच्यमान सदा सद्भिर्यावदर्क च नन्दतात् 7 #1 H भावार्थ - रचयिता के पिता ग्रामन का जन्म अणहिल्लपुर (पाटण) के सुप्रसिद्ध कुल पल्लीवाल मे हुआ था । आमन एक सुप्रसिद्ध महान् कवि है तथा उन्होंने 'श्री नेमिचरितम्' नामक महाकाव्य की रचना की है। इनके चार पुत्र हैं, उनमे सबसे बडे अनन्तपाल है जिन्होने 'स्पष्ट पाटिगणित' की रचना की । दूसरे धनपाल स्वय है जिसने इस काव्य की रचना की। अगले पुत्र रत्नपाल तथा गुणपाल हैं। पिता द्वारा दी गई शिक्षा के दो 85
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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