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रिसि
(रिमि) 111
-ऋषि
गुरु
मह
(होम) व 3/1 अक
= रहे (होता है) (अम्ह) 6/1 स
=मेरे (रिणहयमणु- [णिहय)+(मण)+(उन्भव)+=मन से उत्पन्न व्याधि नष्ट (भववाहि (वाहि)] [(रिणहय) भूक अनि- कर दी गई
(मरण)-(उन्भव)-(वाहि) 1/1]
92 वेपयेहि
गम्मइ वेमुहसूई।
सिज्जए
कथा विषिण
(a) वि-(पथ) 3/2] -दो मार्गों से अव्यय
नहीं (गम्मइ) व कर्म 3/1 सक अनि =गमन किया जाता है
[(वे)वि-(मुह)-(सूई) 6/1] =दो मुखवाली सूई से (सिज्जए) व कर्म 3/1 सक अनि =सिया जाता है (कथा) 1/1
-पुराना वस्त्र (वि) 1/2 वि
-दोनो अव्यय (ह) व 3/2 अक
=होते हैं (अयारण) 8/1 वि
-हे अज्ञानी [(इदिय)-(सोक्ख) 1/1] =इन्द्रिय-सुख अव्यय
और (मोक्ख) 1/1
तनाव-रहितता
-नहीं
हुति प्रयाणा इदियसोक्ख
मोवख
।
कभी-कभी तृतीया के स्थान पर पप्ठी का प्रयोग पाया जाता है (हे प्रा व्या 3-134)।
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। पाहुददोहा चयनिका