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पाहुड-दोहा पत्तिय तोडेहि तडतडह णाई पइटा उडे। एव ण जाणहि मोहिया को तोडइ को तुडु ॥ १५८ ॥ पत्तिय पाणिउ दम्भ तिल सब्बई जाणि सवण्णु। जं पुणु मोसंह जाइवउ तं कारणु कु इ अण्णु ॥ १५९ ॥ पत्तिय तोडि म जोइया फलहिं जि हत्थु म वहि । जसु कारणि तोडेहि तुहं सो सिउ एत्थु चैहाहि ॥ १६० ।। देवलि पाहणु तित्थिं जल पुत्थई सय कर्बु । वत्थु जु दीसइ कुसुगियउ इंधणु होसइ सधं ॥ १६१ ॥ तित्थई तित्थ भमंतयह कि हाँ फल हृव । बाहिरु सुद्धउ पाणियह अभितरु किम हूव ॥ १६२ ॥ तित्थई तित्थें भमेहि बढ धोयर चम्मु जलेण । एडु मणु किम धोएसि तुहुँ मइलउ पायमलेण ॥ १६३ ।। जोड्य हियडइ जासु ण वि इकु ण णिचसइ देउ । जम्गणमरणविवाजियउ किम पावइ परलोउ ॥ १४ ॥ .
द. तोडि तडतडन.२ क. भुस्खहं. ३ क. ताडेलि. ४२. चमावि. ५२. तित्थ. ६ क. काउ.१ क. सव्यु त्रि. ८ क. काउ.९द, गहउ.१० क.तित्व शमहि वह. ११क. सो.