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पाहुड-दोहा अजु जिणिजइ करहुलउ लइ पई देविणुं लक्छु । जित्थु चडेविणु परममुणि सज गयागय मोक्वं ॥ १११ ॥ करहा चरि जिणगुणथलिहिं तव विल्लडिय पगाम । विसमी भवसंसारगइ उल्लरियहि ण जाम ॥ ११२ ।। तब दावणु वय भियमंडा समदम कियउ पलाणु । संजमघरहं उमाहियउ गउ करहा णिवाणु ॥ ११३ ॥ एक ण जाणहि वट्टडिय अवरु ण पुच्छहि कोई । अदुवियद्दई डुंगरहं पर भजंता जोइ ॥११४ ॥ वट्ट जु छोडिवि मलियउ सो तरुबरु अयत्यु । रीणा पहिय ण वीसमिय फलैहि ण लायउ हत्थु ॥११५।। छहदसणधंधइ पडिय मणहं ण फिट्टिय भंति । एकु देउ छह भेट किउ तेण ण मोक्संह जति ॥ ११६ ।। अप्पा मिल्लिवि एकु पर अण्णु ण वइरिउ कोइ । जेणे विणिम्मिय कम्मडा जइ पर फेडइ सोइ ॥ ११७ ॥
क. जि णजह.२क.दिब्बर.३ क. मुस्व. द. चडि.५क, चय णिल्लडइ. ६ क. 'घर.७६. उम्मा'.८ द. को वि.९ क. अफियत्यु.१० क. फलिहि.११ क. फिट्टय, १२ क. हो. १३ द. जण वि अजिय दुक्खडा. .