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नेमिनाथ-चरित्र भी खराव थे; इसलिये अन्यान्य रिश्तेदारोंने भी उसका त्याग कर दिया । लाचार, नन्दिपेण, मेहनत मजदूरी कर किसी तरह अपना पेट भरने लगा। उसकी यह दुरावस्था देखकर एक दिन उसके मामाको उस पर दया आ गयी
और वह उसे अपने घर लिवा ले गया। उसके सात' कन्याएँ थी, जिनकी अवस्था विवाह करने योग्य हो चुकी थी। उसने नन्दीपेणसे कहा :-"इनमें से सबसे बड़ी कन्याका विवाह मैं तुम्हारे साथ कर दूंगा। तुम आनन्दसे घरमें रहो और घरका काम-धन्धा देखो!" . विवाहके इस प्रलोभनसे नन्दिपेण प्रसन्न हो उठा और घरके छोटे-बड़े सभी काम बड़े चावसे करने लगा। परन्तु उसके मामाकी बड़ी कन्याको जब यह वात मालूम हुई, तो वह कहने लगी कि यदि पिताजी मेरा विवाह नन्दिषेणसे करेंगे, तो मैं आत्महत्या कर अपना प्राण दे देंगी। उसकी इस प्रतिज्ञासे नन्दिषेण की आशा पर पानी फिर गया। फलतः वह बहुत उदास रहने लगा। उसकी यह अवस्था देखकर उसके मामाने कहा:-"हे नन्दिपेण.! तुझे उदास होनेकी जरूरत नहीं। यदि मेरी