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उन्नीसवाँ परिच्छेद
७६५ गुच्छ, और पाश तथा वायीं ओरके दोनों हाथोंमें नरमुण्ड और अंकुश शोभित हो रहे थे। अम्बिकाका दूसरा नाम कुष्माण्डी भी था।
इस प्रकार देव देवीसे अधिष्ठित नेमिनाथ भगवानने दो ऋतुओंके चार मास (वर्षाकाल ) उपवनमें व्यतीत किये। इसके बाद वे अन्य देशकी ओर विहार कर गये।
उन्नीसवाँ परिच्छेद
द्रौपदी-हरण
इधर पञ्च पाण्डवों पर जबसे कृष्णकी कृपादृष्टि हुई, तबसे उनके समस्त दुःख दूर हो गये। अब वे आनन्दपूर्वक हस्तिनापुरमें रहते हुए द्रौपदीके साथ भोगविलास करते थे। “एकदिन कहींसे घूमते घामते नारदमुनि द्रौपदीके घर आ पहुंचे। द्रौपदीने उनको विरक्त समझ कर न तो उनको सम्मान ही दिया, न उनका आदर