________________
*છુ
नेमिनाथ चरित्र
राजकन्याने दीक्षा ली। उसे स्वामीने प्रवर्तिनीके पद पर स्थापित किया । दस दशार्ह, बलराम, कृष्ण, राजा
उग्रसेन, प्रद्युम्न तथा शाम्य आदिकने श्रावक धर्म स्वीकार किया । शिवादेवी, रोहिणी, देवकी, रुक्मिणी आदि रानियों तथा अन्यान्य स्त्रियोंने भी श्रावक स्वीकार किया | इस प्रकार समवसरणमें प्रभुका संघ हुआ । दूसरे दिन सुबह प्रथम पोरुपीमें प्रभुने उपदेश दिया और द्वितीय पोरुपी में वरदत्त गणधरने धर्मोपदेश दिया। इसके बाद शक्रादि देवता तथा कृष्णादिक राजा भगवानको वन्दन कर अपने अपने वासस्थानको चले गये ।
तदनन्तर उती तीर्थमें गोमेध नामक भगवानका एक शासनदेव उत्पन्न हुआ और अम्बिका नामक उनकी वर्ण एक शासनदेवी उत्पन्न हुई। गोमेधके तीन सुख, श्याम, पुरुष वाहन, दाहिनी ओरके तीन हाथों में बीज पूर ( विजौरा ) । परशु और चक्र नामक तीन आयुध तथा बायीं ओरके तीन हाथों में नकुल, त्रिशुल और शक्ति नामक आयुध थे। अम्बिकाकी कान्ति सुवर्ण समान, सिंह वाहन, दाहिनी ओरके दो हाथों में आम्रका
.