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सोलहवाँ परिच्छेद
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इनकी गणना ही न होनी चाहिये | अंग देशके राजा कर्ण अवश्य ही एक अच्छे योद्धा हैं, परन्तु कृष्णकें: लाखों महारथी और सुभटोंको देखते हुए वे भी किसी हिसाब में नहीं हैं । यादव सेनामें बलराम, कृष्ण और अरिष्टनेमि --- यह तीनों एक समान बली हैं, किन्तु इधर आपके सिवा इनके जोड़का और कोई नहीं है । इसीलिये मैं कहता हूँ कि उनकी और हमारी सेनामें बहुत अधिक अन्तर है। समुद्रविजयके पुत्र श्री अरिष्टनेमि, जिसे अच्युतादिक इन्द्र भी नमस्कार करते हैं, उनसे युद्ध करने का साहस भी कौन कर सकता है ?
इसके अतिरिक्त हे राजन् ! यह तो आप देख ही चुके हैं कि कृष्णके अधिष्ठायक देवता आपके प्रतिकूल हैं और उन्होंने छलपूर्वक आपके पुत्र कालकुमारका प्राण: लिया है। दूसरी ओर मैं यह देखता हूँ कि यादवलोग बलवान होनेपर भी न्यायानुकूल आचरण करते हैं। यदि ऐसी बात न होती. तो के मथुरासे द्वारिकामें क्यों भाग जाते ? अब जब आपने उन्हें युद्ध करनेके लिये' वाध्य किया है, तब वे अपनी सारी शक्ति संचय करें.
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