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नेमिनाथ चरित्र मुनिराजने कहा :-"वह यहाँसे भागकर एक जंगलमें गयी थी। वहॉपर भिल्लोंने उसके गहने-कपड़े छीनकर उसे अपने राजाके हाथोंमें सौंप दिया। उसने उसे एक वणिकके हाथ बेच दिया। किसी तरह वह उसके चंगुलसे भी भाग निकली, परन्तु उसके भाग्यमें अन सुख और शान्ति कहाँ ? वह फिर एक जंगलमें पहुँची और वहाँ दावानलमें जलकर खाक हो गयी। इस प्रकार रौद्र ध्यानसे मृत्यु होनेपर इस समय वह प्रथम नरक भोग रही है। वहाँसे निकलने पर वह एक चाण्डालकी स्त्री होगी। वहाँ भी गर्भधारण करनेपर सौलसे उसका झगड़ा होगा, जिसमें सौत उसे छुरी मार देगी, जिससे उसकी मृत्यु हो जायगी। मृत्यु होने पर कुछ दिन वह तीसरा नरक भोग करेगी। इसके बाद उसे तिर्यञ्च गति प्राप्त होगी। इसी प्रकार वह जन्मजन्मान्तरमें अनन्तकाल तक दुःख भोग करेगी। आपके सम्यग्दृष्टि पुत्रको विष देनेके कारणही उसकी यह अवस्था होगी। उसने जो घोर पाप किया है, उसका यही प्रायश्चित होगा।"