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-नेमिनाथ-चरित्र ' इससे बड़ा क्रोध आया और उन्होंने नगरमें जाकर
सोमदेव तथा अन्यान्य लोगोंसे यह हाल कह सुनाया। इससे चारों ओर नागश्रीकी घोर निन्दा होने लगी। सोमदेव आदिको भी उस पर बड़ा क्रोध आया और
उन्होंने उसे घरसे निकाल दिया। इससे नागश्री बहुत . दुःखित हो दर दर भटकने लगी। शारीरिक और
मानसिक यातनाके कारण उसे खाँसी, दमा, बुखार ' और कुष्ट आदिक भयंकर सोलह रोगोंने आ घेरां और
वह इसी जन्ममें घोर नरक भोग करने , लगी। कुछ दिनोंके बाद भोजन और वस्त्र रहित अवस्थामें भटकते
भटकते उसकी मृत्यु हो गयी और वह छठे नरककी . अधिकारिणी हुई। .. · नरकमें दीर्घकाल तक घोर यातना सहन करनेके
बाद उसने म्लेच्छोंके यहाँ जन्म ग्रहण किया और मृत्यु ' होने पर वहाँसे सातवें नरकमें गयी। वहॉसे निकलकर
वह.फिर म्लेच्छोंके यहाँ उत्पन्न हुई और वहाँसे फिर सातवें नरकमें गयी। वहाँसे निकलकर वह मत्स्यों के यहाँ उत्पन्न हुई और वहाँसे सातवें नरकमें गयी। वहाँसे