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________________ नेमिनाथ-चरित्र उसी समय दीक्षा ले ली। उस किसानको भी इन सब बातोंसे प्रतिबोध हो गया। परन्तु वह दोनों ब्राह्मण इससे अत्यन्त लजित हुए और अपनी हँसी सुनते हुए उस समय तो चुपचाप अपने घर चल गये। , ___परन्तु सत्यमुनिके इस कार्यमें उन दोनोंको अपना अपमान दिखायी दिया, इसलिये उन दोनोंने उनसे बदला लेना स्थिर किया। इस निश्चयके अनुसार रात पड़ते ही वे दोनों तलवार लेकर उस उद्यानमें मुनिराजको मारनेके लिये जा पहुंचे। परन्तु मुनिराजको मारनेके पहले ही सुमन यक्षने उन दोनोंको स्तम्भित बना दिया। इससे उनकी चलने फिरने या कुछ करनेकी शक्ति नष्ट हो गयी और वे जहाँके तहाँ खड़े रह गये। अपनी यह अवस्था देखकर वे दोनों रोने-कलपने लगे। रात तो किसी तरह बीत गयी। सवेरा होते ही उनके माता पिता और नगर-निवासी उनके आस पास आकर इकट्ठ हो गये और उनकी इस दुरवस्थाका कारण पूछने लगे, परन्तु वे उनको कोई उत्तरं न दे सके। अमिभूति और वायुभूतिको निरुत्तर देखकर, उसी
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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