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तेरहवाँ परिच्छेद गयी। कृष्णने उसके लिये ऐश्वर्य और ऐश आरामकी समस्त सामग्रियाँ जुटा दी और वह वहीं रह कर कृष्णके. साथ आनन्द-पूर्वक अपने दिन व्यतीत करने लगी। ___ कुछ दिनोंके बाद, एक दिन नारदमुनि वहाँ आये। कृष्णने उनका पूजनकर पूछा :- "हे भगवन् ! आप तीनों लोकमें सर्वत्र विचरण किया करते हैं। यदि कहीं कोई आश्चर्यजनक वस्तु दिखायी दी हो, तो उसका वर्णन कीजिये।"
नारदने कहा :-हे केशव ! मैंने हालहीमें एक आश्चर्य जनक वस्तु देखी है। वैतात्य पर्वतपर जाम्बवान नामक एक विद्याधर राजा राज्य करते हैं। उनकी पत्नीका नाम शिवचन्द्रा है। उनके विष्वक्सेन नामक एक पुत्र और जाम्बवती नामक एक पुत्री है। वह अभीतक कुमारी है। उसके. समान रूपवती रमणी वीनों लोकमें न तो मैंने देखी है, न सुनी ही है। वह राजहंसीकी भाँति क्रीड़ा करनेके लिये सदा गंगामें जायां करती है। उसका अद्भुत सौन्दर्य देखकर ही मैं तुम्हें उसकी सूचना देने आया हूँ।" . . . . . . .