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नेमिनाथ-चरित्र.
महल गढ़ द्वारा सुरक्षित और कल्पवृक्ष, गजशाला, अश्वशाला, सिंहद्वार तथा ध्वजादिकसे सुशोभित थे ।
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इन सबके मध्यभाग में वसुदेवका पृथ्वीजय नामक बहुत बड़ा महल बनाया गया था। उससे कुछ दूरी पर अठारह खण्डका सर्वतोभद्र नामक महल बलराम और कृष्णके लिये बनाया गया था । इस महलके सामने रख और मणि- माणिक्यमय सर्व प्रभासा नामक एक सभा - गृह भी बनाया गया था, जो बहुत ही मनोरम और दर्शनीय था ।
इन चीजोंके अतिरिक्त विश्वकर्माने एक सौ आठ हाथ ऊँचा, जिन प्रतिमासे विभूषित, और मेरु शिखरके. समान ऊँचा, एक जैन मन्दिर भी बनाया था। तालाच, कूए, और उद्यान आदि तो स्थान स्थान पर आवश्यकतानुसार बना दिये गये थे । यह सब कुबेरने केवल एकदिन और एक रात्रि अर्थात् २४ घण्टे में बना दिया । इस नगरी के पूर्व में गिरनार,: दक्षिणमें माल्यवान, पश्चिममें सौमनस और उत्तर में गन्धमादन नामक बड़े बड़े पर्वत अवस्थित थे । जिस समय यह मनोहर नगरी बनकर