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बारहवाँ परिच्छेद
५०३ चिन्तामें पड़ गये हैं। इससे हमलोग किस प्रकार उद्धार पायेंगे।" ____ मुनिराजने कहा :- "हे राजन् ! भय करनेका कोई कारण नहीं है। यह तुम्हारा अरिष्टनेमी बाईसवाँ तीर्थङ्कर और अद्वितीय बलवान होगा। यह वलराम
और कृष्ण भी परम प्रतापी निकलेंगे। द्वारिकापुरीमें रहते हुए वे जरासन्धका वध कर अर्ध भरतके स्वामी होंगे।" __ यह सुनकर राजा समुद्रविजयको अत्यन्त आनन्द हुआ और उसने मुनिराजका यथोचित आदर सत्कार कर उन्हें आनन्द-पूर्वक विदा किया। इसके बाद प्रयाण करते हुए यादवोंका यह दल सौराष्ट्र देशमें पहुँचा और वहाँ गिरनारके उत्तर पश्चिममें उसने डेरा डाला। यहींपर कृष्णकी पत्नी सत्यभामाने भानु और भामर नामक परम रूपवान दो पुत्रोंको जन्म दिया। इनका जन्म होने पर क्रोष्टुकीके आदेशानुसार कृष्णने स्नान और बलिकर्म कर अट्ठम तप किया और उसके साथ ही समुद्रकी भी पूजा की। . .