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नेमिनाथ-चरित्र. उस सान पर केवल कालकुमारकी.मुट्ठी भर हड्डियाँ पड़ी हुई थीं। पता लगाने पर उन्हें यह भी मालूम हुआ कि यादव तो इस स्थानसे बहुत दूर निकल गये हैं।
और यह सब देव माया थी। यह जानकर यवन सहदेवादिक हताश हो गये. और यादवोंका पीछा छोडकर, राजगृहको लौट आये।' ' , कालकुमारकी मृत्युका समाचार सुनकर जरासन्ध मूछित, होकर गिर पड़ा। कुछ देरमें जब उसकी मूर्छा दूर हुई, तब वह बहुतही करूण क्रन्दन करने लगा। किसीने ठीक ही कहा है, कि संसारमें नाना प्रकारके भयंकर दुःख हैं, किन्तु पुत्र-वियोग उन सवोंमें बढ़कर है ! ;,.. : . . . :
उधर यांदवोंने जब,कालकुमारकी मृत्युका समाचार सुना तब उनको कुछ धैर्य आया। उन्होंने आनन्दपूर्वक क्रोष्टुकी. ज्योतिषीका पूजन किया। इसी समय वहाँ अतिमुक्तक मुनिका आगमन हुआ। उन्हें देख, समुद्रविजयने वन्दना करते हुए नम्रतापूर्वक पूछा:"हे स्वामिन् ! इस संकटके कारण हमलोग बड़ी