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नेमिनाथ चरित्र तेजीके साथ उसके मुखमें डाल दी कि उसका मुख गर्दन तक फट गया और उसी पीड़ाके कारण तत्काल उसकी मृत्यु हो गयी। इसी प्रकार कंसके उस दुर्दान्त गर्दभ और मेषको भी कृष्णने क्षणमात्रमें मारकर गोकुल और वृन्दावनको सदाके लिये उनके भयसे मुक्त कर दियो।
इन सब बातोंका पता लगानेके लिये कंसके गुप्त. चरे सदैव चारों ओर विचरण किया करते थे। उन्होंने यथा समय कंसको इन सब घटनाओंकी सूचना दी। इससे कंसका सन्देह दूर हो गया और वह समझ गया, कि नन्दके यहाँ कृष्ण नामक जो बालक है, वही मेरा शत्रु है। फिर भी विशेष रूपसे इसकी परीक्षा करनेके लिये उसने एक उत्सवका आयोजन किया। यह पहले
ही बतलाया जा चुका है कि उसके यहाँ शारंग नामक 'एक धनुष था, जिसकी सत्यभामा पूजा किया करती थी। उसने उस धनुषको राजसभामें स्थापित कराया और सत्यभामाको वहीं बैठकर उसकी पूजा करनेका आदेश दिया। इसके बाद उसने चारों ओर घोषणा