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ग्यारहवाँ परिच्छेद
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नेमिनाथ भगवानका जन्म
उधर शौर्यपुर नगरमें समुद्रविजय राजाकी शिवादेवी रानीने एकदिन प्रभातके समय गज, वृषभ, सिंह, लक्ष्मी, पुष्पमाला, चन्द्र, सूर्य, ध्वज, कुम्भ, पनसरोवर सागर, देवविमान, रनपुञ्ज और निर्धूम अग्नि-यह चौदह महास्वम देखे। उसदिन कार्तिक कृष्ण द्वादशी
और चित्रा नक्षत्र था। उस नक्षत्रसे चन्द्रमाका योग होने पर अपराजित अनुत्तर विमानसे शंखका जीव च्युत होकर,शिवादेवीके उदरमें आया। उस समय तीनोंलोकप्रकाशित हो उठे और अन्तर्मुहूर्त तक नारकीय जीवोंको भी सुखं हुआ। तीर्थकरोंके जन्मके समय इतना तो अवश्य ही होता है। . स्वम देखते ही शिवादेवीकी निद्रा. टूट गयी। उन्होंने तुरन्त शैय्या त्यागकर अपने पतिसे इन स्वमोंका