________________
नेमिनाथं चरित्र बड़ाही आश्चर्य हुआ और उसने उनके चले जाने पर समुद्रविजयसे उनका परिचय पूछा। समुद्रविजयने कहा :-"प्राचीनकालमें इस नगरके बाहर यज्ञयशा नामक एक तापस रहता था। उसके यज्ञदत्ता नामक एक भार्या और सुमित्र नामक एक पुत्र भी था। सुमित्रकी पत्नीका नाम सोमयशा था । जूभक देवताओंमेंसे कोई देवता च्युत होकर उसीके उदरसे पुत्र रूपमें उत्पन्न हुआ और उसीका नाम नारद पड़ा।
जिन तापसोंके यहाँ नारदका जन्म हुआ था, वे एक प्रकार का व्रत किया करते थे। उस व्रतकी विधि यह थी कि एकदिन उपवास करना और दूसरे दिन जंगल में जाकर फलों द्वारा पारण करना। एकदिन वे लोग नारदको एक अशोक वृक्षके नीचे बैठा कर पारणके लिये फल लेने चले गये। इसी समय उधरसे जुंभक देवता आ निकले और उस सुन्दर बालकको अशोक वृक्षके नीचे अकेला देखकर उसके पास खड़े हो गये। इसके बाद अवधिज्ञानसे उन्हें जब यह मालूम हुआ कि पूर्व जन्ममें वह भी जुंभक देवता और उनका एक मित्र था,