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नेमिनाथ-चरित्र स्नेह और वैर पूर्वजन्मके कमोसे ही उत्पन्न होते है, अकारण नहीं। __साधुके यह वचन सुनकर सेठ और ललितको बड़ाही दुःख हुआ। उन्हें इस संसारकी विचित्रता देखकर वैराग्य आ गया और उन दोनोंने उसी समय दीक्षा ले ली। मृत्युके बाद वे दोनों महाशुक्र देवलोकमें गये और वहाँपर स्वर्गीय सुख उपभोग करने लगे। इधर गंगदत्तने भी माताकी अनिष्टताका स्मरण कर विनवल्लभ होनेका निदान किया। मृत्यु होने पर वह भी उसी महाशुक्र देवलोकका अधिकारी हुआ।
ललितका जीव देवलोकसे च्युत होने पर वसुदेव की पत्नी रोहिणीके उदरसे पुत्र रूपमें उत्पन्न हुआ। जिस दिन वह रोहिणीके गर्भमें आया, उस दिन पिछली रातमें रोहिणीने एक स्वम देखा था, जिसमें उसे ऐसा मालूम हुआ था, मानो गज, सिंह, चन्द्र और समुद्र-यह. चारों उसके मुखमें प्रवेश कर रहे हैं। यह स्वम बहुत अच्छा और पुत्र-जन्मका सूचक था। इसलिये गर्भकाल पूर्ण होने पर रोहिणीने सचमुच चन्द्रके समान एक