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नेमिनाथ चरित्र
राजमहलमें लिवा ले गये। वहाँपर दमयन्तीने द्यूत क्रीडासे लेकर अब तक की मुसीबतका सारा हाल उन्हें कह सुनाया। सुननेके बाद माता पुष्पदन्तीने उसे बहुत सान्त्वना दी। उसने कहा :- "हे आयुष्मती ! यह बड़े आश्चर्यकी बात है कि इतने संकट आनेपर भी तुम्हारा जीवन वच गया है और तुम सकुशल हमारे पास पहुँच गयी हो। इससे प्रतीत होता है कि तुम्हारा सौभाग्यसूर्य अभी अस्त नहीं हुआ है। अब तुम यहॉपर आनन्दसे रहो। मेरा विश्वास है कि कभी-न-कभी तुम्हारे पतिदेव तुम्हें अवश्य मिलेंगे । हमलोग अब उनकी खोज करानेमें भी कोई बात उठा न रखेंगे।" ___पुरोहित हरिमित्रका कार्य बहुत ही सन्तोष दायक. था। यदि उसने तनमनसे चेष्टा न की होती, तो दमयन्तीका पता कदापि न चलता। राजा भीमरथने इन सब बातों पर विचार कर उसे पांच सौ गॉव इनाम दे दिये । साथ ही उन्होंने कहा :-“हे हरिमित्र ! यदि इसी तरह चेष्टा कर तुम नलका पता लगा लाओगे, तो मैं तुम्हें अपना आधा राज्य दे दूंगा।" इसके बाद