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नेमिनाथ-चरित्र राजाके सामने उपस्थित किया और उन्होंने चोरीके अपराधमें मुझे मृत्युदण्ड दे दिया। इसके बाद जो कुछ हुआ वह आपको मालूम ही है। यदि आपने मुझे न बचाया होता तो, हे महासती! उस दिन मैं कुत्ते की मौत मारा गया होता।"
चोरकी इस आत्म-कथासे दमयन्तीको जब यह मालूम हुआ, कि वह वसन्त सार्थवाहकका नोकर था
और तापसपुरमें रहता था, तब उन्होंने बड़े प्रेमसे वसन्तका कुशल समाचार पूछा। उत्तरमें उस चोरने कहा :-'हे देवी! तापसपुरसे आपके चले आने पर विन्ध्याचलके वियोगीहाथीकी भाँति वसन्त सार्थवाहकने अन्न त्याग दिया और सात दिन तक उपवास किया । इसके बाद यशोभद्रसरिका उपदेश श्रवण कर उसने आठवें दिन फिर अन्न ग्रहण किया। ___ इसके कुछ दिन बाद वह अनेक बहुमूल्य चीजें लेकर राजा कुवेरके दर्शन करने गया। वे उसकी भेट देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे न केवल राजसभामें ही सम्मानित किया, बल्कि छत्र और चमर