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नेमिनाथ चरित्र किन्तु राजकुमारी उसकी बातें सुनकर मन्त्र-मुग्धकी भाँति एक दृष्टि से उसकी ओर देख रही थी। उसे मानो अपने तन-मनकी भी सुधि न थी। जब हॅस वहाँसे उड़ने लगा, तब उसे होश आया । वह अपने दोनों हाथ फैलाकर उसकी ओर इस प्रकार देखने लगी, मानो उसे बुला रही हो । हॅसने आकाशसे उसके उन फैलाये हुए हाथोंमें एक चित्र डालते हुए कहा :--'हे भद्र ! यह उसी युवकका चित्र है, जिसके रूपका वर्णन मैंने तुम्हारे सामने किया है। चित्र चित्र ही है। यह मेरी कृति है। इसमें दोष हो सकता है, किन्तु कुमारमें कोई दोष नहीं है। इस चित्रको तुम अपने पास रखना । इससे स्वयंवरके समय कुमारको पहचानमें तुम्हें कठिनाई न होगी।" ___राजकुमारी उस चित्रको देखकर प्रसन्न हो उठी । उसने हँसकी ओर पुकार कर कहा :- "हे भद्र ! क्या तुम यह न बतलाओगे कि वास्तवमें तुम कौन हो? मुझे तो तुम्हारा यह रूप कृत्रिम मालूम पड़ता है।" ____कुमारीकी यह बात सुनकर हँस रूपधारी उस विद्याधरने अपना असली रूप प्रकट करते हुए कहा :-"हे