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नेमिनाथ-चरित्र बात कहने आया हूँ। मुझे पीजड़ेमें वन्द करनेकी जरूरत नहीं। तुम भी मुझे छोड़ दो। मैं तुमसे बातचीत किये बिना यहाँसे कदापि न जाऊँगा।" ___हॅसकी यह बातें सुनकर कनकवती चकित हो गयी। उसने कभी भी किसी पक्षीको इस तरह मनुष्यकी बोलीमें. बातें करते देखा सुना न था। इसलिये उसने उसे छोड़ते हुए कहा :-हे हॅस ! तुम वास्तवमें एक रत हो। लो, मैं छोड़े देती हूँ। तुम्हें जो कहना हो, वह सहप कहो।" ___ हंसने कहा :-'हे राजकुमारी ! सुनो, चैताब्य पर्वतपर कोशला नामक एक नगरी है। उसमें कोशल नामक एक विद्याधर राज करता है। उसके देवी समान सुकोशला नामक एक पुत्री है। उसका पति परम गुणवान और युवा है। रूपमें तो मानो उसके जोड़ेका दूसरा पुरुष विधाताने बनाया ही नहीं। पुरुषोंमें जिस. प्रकार वह सुन्दर है, उसी प्रकार तुम स्त्रियोंमें सुन्दरी हो। तुम दोनोंको देखकर मुझे ऐसा मालूम हुआ, मानो एक सूत्रमें बान्धले के लिये ही विधाताने इस