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छठा परिच्छेद
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पकड़नेकी चेष्टा करने लगी। माया-मयूर कभी नजदीक. आता और कभी दूर भाग जाता, कभी झाडियोंमें छिप जाता और कभी मैदानमें निकल जाता। नीलयशा उसको पकड़नेकी इच्छासे कुछ दूर निकल गयी और अन्तमें जब वह उसके पास पहुंची, तब उस मयूरने अपने कन्धे पर नीलयशाको बैठालिया। इसके बाद वह मयूर
आकाशमार्ग द्वारा न जाने कहाँ चला गया। ___ वसुदेव उस मयूरकी यह लीला देख कर पहले तो दंग रह गये, किन्तु बादको वे भी उसके पीछे दौड़े। उन्होंने बहुत दूर तक उसका पीछा किया और बड़ा होहल्ला मचाया, किन्तु जब वह ऑखोंसे ओझल हो गया, तव वे लाचार होकर वहीं खड़े हो गये। उस समय शाम हो चली थी इस लिये अब कहीं ठहरनेका प्रबन्ध करना आवश्यक था। इसलिये वसुदेवने इधर-उधर देखा, तो उन्हें मालूम हुआ कि वे एक व्रज (गायोंके रहनेका स्थान ) के निकट आ पहुँचे हैं। वहाँ जाने परः गोपियोंने उनका बड़ाही सत्कार किया और उनके सोनेके लिये शैय्यादिकका प्रवन्ध कर दिया। वसुदेवने.