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छठा परिच्छेद
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मुझे दिखायी दिये। ध्यानपूर्वक देखने पर मुझे मालूम हुआ कि उन चरण-चिन्होंमें किसी स्त्रीके भी चरण-चिन्ह सम्मिलित हैं। इससे मैं समझ गया कि उस पुरुषके साथ कोई स्त्री भी होगी। वहाँसे आगे बढ़ने पर एक स्थानमें मुझे एक कदली-गृह, पुष्पशव्या, बाल और तलवार आदि चीजें दिखायी दी। उसके पास ही एक वृक्षमें कोई विद्याधर जकड़ा हुआ था। मैंने देखा कि उसके हाथ परोंमें लोहे की काटियॉ जड़ दी गयी है, इसलिये मैं बड़ी चिन्तामें पड़ गया। इधर-उधर खोज करने पर उसकी तलवारके म्यानमें मुझे तीन औषधियाँ दिखायी दी। उनमेंसे एक औषधिका प्रयोग कर मैंने उसे बन्धन मुक्त किया। दूसरी औषधि लगानेसे उसके जख्म अच्छे हो गये और तीसरी औषधि देने पर वह पूर्ण स्वस्थ हो गया। उसे स्वस्थ देखकर मैंने पूछा,"हे युवक ! तुम कौन हो और तुम्हारी यह अवस्था किसने की ?" . युवकने अपना परिचय देते हुए कहा, "हे भद्र ! चैताब्य पर्वत पर शिवमन्दिर नामक एक नगर है। उसमें महेन्द्र विक्रम नामक राजा राज करते हैं। उन्हींका मैं