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छत्रपतसिंहजी और माताजीका नाम ' फुलकुमारी था। आपकी शिक्षा जीयागंज में हुई। आपका विवाह संस्कार १२ वर्ष की आयु में बीकानेर- निवासी गोरेलालजी कोचर की सुपुत्रीके साथ हुआ था । श्रापका जैसा रहन-सहन एवं अध्यवसाय है, वैसा ही आपकी धर्मपत्नी रानी धनकुमारी का भी है । फलतः आपका गृहस्थ जीवन सानन्द व्यतीत होता जा रहा है । आपकी ३७ वर्षकी आयु में आपके पिताजी का देहावसान हो गया। इसके बाद कारोबार का सारा भार आपके ऊपर आ पड़ा। जिसे आप सुचारु रुपसे. संचालन करते जा रहे हैं ।
आपका धर्म प्रेम, जाति-प्रेम, देश-प्रेम परम प्रशंसनीय है । आपने अपने बाहुबलसे अच्छा वैभत्र उपार्जन किया है। आपकी दानशीलताकी जितनी प्रशंसा की जाय उतनी ही कम है। आपके श्रदार्यके उज्ज्वल उदाहरण भी ऐसे हैं जो आपकी कीर्तिको चिरस्थायी बनाये रहेंगे।
आपने निम्नलिखित संस्थाओंको आर्थिक सहायता प्रदान की है और नियमित मासिक सहायता भी दिया करते हैं। आपने अपनी जमिदारी के राजमहल नामक गाँव में अपनी माता जवाहिर कुमारीके स्मरणार्थ हाई स्कूल (High School) बनवा दी है, जिसमें आपने १०,०००) दस हजार रुपये प्रदान किये हैं एवं मासिक सहायता भी दिया करते हैं । ईस्वी सन् १९१९ के दुष्कालके जमानेमें आपने अनेक दीन-दुःखी मनुष्योंको अन्न-वस्त्र एवं उनके निर्वाहके लिये बहुमूल्य में चावल खरीदकर नाममात्र अल्पमूल्य लेकर बँटवाये थे। भागलपुर में अपने पूर्वजोंका निर्माण कराया हुआ "श्रीवासुपूज्य
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